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परिचय

कैटरेक्ट क्या है?

आँखों में कैटरेक्ट तब बनता है जब आँख का लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे साफ़ देखना मुश्किल हो जाता है। सामान्यतः यह लेंस साफ़ होता है और रेटिना पर रोशनी को केंद्रित करके स्पष्ट दृष्टि प्रदान करता है। जब यह लेंस धुंधला हो जाता है, तो धुंधली दृष्टि, तेज़ रोशनी से चकाचौंध और रात में गाड़ी चलाने में परेशानी जैसे कैटरेक्ट के लक्षण हो सकते हैं। कैटरेक्ट आमतौर पर बुज़ुर्गों में होता है, लेकिन यह आँखों की चोट, कुछ चिकित्सा स्थितियों या लंबे समय तक UV किरणों के संपर्क में आने से भी हो सकता है। कैटरेक्ट धीरे-धीरे बढ़ता है, लेकिन सर्जरी की आधुनिक तकनीकों की मदद से इसका प्रभावी इलाज संभव है।

कैटरेक्ट के सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं:

कैटरेक्ट के लक्षण कैटरेक्ट के प्रकार और अवस्था के आधार पर अलग-अलग होते हैं। आँख में कैटरेक्ट होने के आम लक्षण और संकेत इस प्रकार हैं:

  • धुंधली या अस्पष्ट दृष्टि: वस्तुएं धुंधली दिखाई दे सकती हैं और दृष्टि धुंधली या अस्पष्ट लग सकती है।
  • रोशनी और चकाचौंध के प्रति संवेदनशीलता: तेज धूप, हेडलाइट या यहां तक कि इनडोर लाइटिंग भी असहजता और देखने में कठिनाई पैदा कर सकती है।
  • रात में देखने की कमजोर क्षमता: कम रोशनी या रात के समय गतिविधियों जैसे ड्राइविंग के दौरान देखने में कठिनाई होना आम है।
  • रंग फीके या पीले दिखाई देना: रंगों की चमक कम हो सकती है और वे फीकेया हल्के लग सकते हैं।
  • रोशनी के चारों ओर चमकदार घेरे दिखाई देना: खासकर रात में तेज रोशनी के चारों ओर घेरे या छल्ले नजर आ सकते हैं।
  • एक आँख में एक वस्तु का दो दिखाई देना: कुछ मरीजों को धुंधले लेंस के कारण एक वस्तु दो दिखाई देती है।
नेत्र चिह्न

कैटरेक्ट होने के कारण क्या हैं?

कैटरेक्ट होने के कई कारण हैं, जिनमें सबसे आम कारण उम्र का बढ़ना है। कैटरेक्ट के बनने के लिए जिम्मेदार अन्य कारकों में शामिल हैं:

  • बढ़ती उम्र: लेंस में प्राकृतिक रूप से होने वाले बदलावों के कारण प्रोटीन टूटने लगता है और लेंस धुंधला हो जाता है, जिससे कैटरेक्ट होता है।
  • आँख की चोट: आँख में किसी प्रकार की चोट के कारण तुरंत या वर्षों बाद कैटरेक्ट हो सकता है।
  • पारिवारिक इतिहास: परिवार में कैटरेक्ट होने का इतिहास इसके होने के जोखिम को बढ़ाता है।
  • चिकित्सीय स्थितियाँ: जैसे कि डायबिटीज़ जैसे रोग कैटरेक्ट होने के जोखिम को काफी हद तक बढ़ा देते हैं।
  • UV के संपर्क में आना: लंबे समय तक आँखों की उचित सुरक्षा के बिना UV किरणों के संपर्क में आने से लेंस को नुकसान पहुँच सकता है।
  • स्टेरॉयड का उपयोग: लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स का सेवन कैटरेक्ट बनने की प्रक्रिया को तेज कर सकता है।
  • धूम्रपान और शराब: धूम्रपान और शराब का सेवन आँखों में ऑक्सीडेटिव नुकसान का कारण बनता है, जिससे कैटरेक्ट का खतरा बढ़ जाता है।

कैटरेक्ट के विभिन्न प्रकार

आमतौर पर 6 प्रकार के कैटरेक्ट देखे जाते हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अलग-अलग विशेषताएं होती हैं:

कॉर्टिकल कैटरेक्ट लेंस के बाहरी किनारों पर बनता है और धीरे-धीरे केंद्र की ओर फैलता है, जिससे दृष्टि से जुड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जैसे कि चमक और प्रकाश के चारों ओर घेरे दिखाई देना।

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इंट्यूमेसेंट कैटरेक्ट में तरल पदार्थ के जमा होने के कारण लेंस में सूजन आ जाती है, यदि इसका समय पर उपचार न किया जाए, तो यह अचानक और गंभीर दृष्टि हानि का कारण बन सकता है।

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न्यूक्लियर कैटरेक्ट लेंस के केंद्रीय भाग को प्रभावित करता है और यह उम्र बढ़ने के साथ आमतौर पर देखा जाता है। यह धुंधली दृष्टि का कारण बन सकता है और दूर की चीज़ों को देखना मुश्किल कर सकता है।

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यह प्रकार लेंस के पीछे बनता है और तेज़ी से बढ़ता है, जिससे चकाचौंध होती है और पढ़ने जैसे कामों में कठिनाई होती है। यह अक्सर मधुमेह और स्टेरॉयड के उपयोग से जुड़ा होता है।

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रोसेट मोतियाबिंद आमतौर पर एक के बाद विकसित होता है आंख की चोट, लेंस में एक तारे जैसा पैटर्न बनाता है।

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एक दर्दनाक मोतियाबिंद एक से परिणाम आंख की चोट और यह आघात के तुरंत बाद या वर्षों बाद प्रकट हो सकता है, जिससे दृष्टि की स्पष्टता प्रभावित हो सकती है।

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कैटरेक्ट के जोखिम कारक

कैटरेक्ट के विकसित होने का जोखिम कई कारकों के कारण बढ़ता है। कैटरेक्ट के सामान्य जोखिम कारकों में शामिल हैं

  • बढ़ती उम्र: उम्र बढ़ने की प्राकृतिक प्रक्रिया कैटरेक्ट का प्रमुख कारण है।
  • अनुवांशिकता: परिवार में कैटरेक्ट होने का इतिहास होने से, आपको भी इसके विकसित होने की संभावना बढ़ सकती है।
  • चिकित्सीय स्थितियाँ: डायबिटीज़ आँखों के स्वास्थ्य पर असर डालता है, जिससे कैटरेक्ट का खतरा बढ़ जाता है। नेत्र स्वास्थ्य.
  • लंबे समय तक UV के संपर्क में आना: यदि आँखों की उचित सुरक्षा नहीं की जाती है, तो UV रोशनी लेंस को नुकसान पहुँचा सकती है।
  • धूम्रपान: धूम्रपान से हानिकारक रसायन निकलते हैं, जो आँखों को नुकसान पहुँचाते हैं।
  • मोटापा: अधिक वजन होने से कैटरेक्ट का खतरा बढ़ सकता है।
  • शराब का सेवन: भारी शराब इसका उपयोग मोतियाबिंद के निर्माण में योगदान दे सकता है।
निवारण

आँखों में कैटरेक्ट होने से कैसे रोकें

हालाँकि सभी मामलों में कैटरेक्ट को पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ स्वस्थ आदतें अपनाकर इसके शुरू होने में देरी की जा सकती है। यहाँ कुछ तरीके दिए गए हैं जिनसे आप कैटरेक्ट के लक्षणों के विकास के जोखिम को कम कर सकते हैं:

  • UV सुरक्षा वाले धूप के चश्मे पहनें: अपनी आँखों को UV किरणों के हानिकारक प्रभाव से बचाएं।
  • संतुलित आहार लें: अपने भोजन में एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर चीज़ें जैसे हरी पत्तेदार सब्जियाँ, गाजर और खट्टे फल शामिल करें।
  • धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान आँखों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है और कैटरेक्ट बनने में योगदान देता है।
  • चिकित्सीय स्थितियों को नियंत्रित रखें: डायबिटीज़ और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सही तरीके से प्रबंधन करने से कैटरेक्ट का जोखिम कम किया जा सकता है।
  • शराब का सेवन सीमित करें: शराब की मात्रा कम करना आँखों के समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है।
  • नियमित आँख चेक अप: आँखों की नियमित जाँचसे कैटरेक्ट का जल्दीपता लगाने और प्रबंधन में मदद मिलती है।

सर्जरी के बाद देखभाल और ठीक होने के लिए सुझाव

कैटरेक्ट की सर्जरी के बाद सही ढंग से ठीक होने के लिए इन सुझावों का पालन करें:

  • सुरक्षात्मक चश्मा पहनें: जागने के समय के दौरान धूल और धूप से आँखों की सुरक्षा के लिए गॉगल्स या रैपअराउंड ग्लास का उपयोग करें।

  • निर्धारित आई ड्रॉप्स का उपयोग करें: संक्रमण को रोकने और सूजन को कम करने के लिए डॉक्टर द्वारा सुझाए गए शेड्यूल का पालन करें।

  • अपनी आँखों को छूने या रगड़ने से बचें: यह जलन या संक्रमण के जोखिम को रोकता है।

  • भारी काम या व्यायाम से बचें: सर्जरी के बाद पहले कुछ हफ्तों तक भारी वजन उठाने या ज़ोरदार व्यायाम करने से बचें।

  • फॉलो-अप अपॉइंटमेंट्स पर जाएं: नियमित जाँच से यह सुनिश्चित होता है कि आँख सही से ठीक हो रही है।

अधिकांश रोगियों को एक सप्ताह के भीतर दृष्टि में सुधार महसूस होता है, तथा 4-6 सप्ताह में वे पूरी तरह ठीक हो जाते हैं।

कैटरेक्ट उपचार के प्रकार

कैटरेक्ट सर्जरी कैटरेक्ट उपचार का सबसे प्रभावी विकल्प है इसमें धुंधले लेंस को हटाकर उसे बदल दिया जाता है...

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यह कैटरेक्ट के उपचार की एक उन्नत तकनीक है, जिसमें लेज़र तकनीक का उपयोग करके अत्यधिक सटीकता से चीरे लगाए जाते हैं और धुंधले लेंस को तोड़ा जाता है…

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कैटरेक्ट के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कैटरेक्ट का इलाज क्या है?

इससे पहले कि हम कैटरेक्ट या मोतियाबिंद के इलाज की बात करें, आइए पहले इसकी मूल परिभाषा को समझते हैं। सरल शब्दों में, आमतौर पर साफ लेंस का धुंधला हो जाना ही कैटरेक्ट कहलाता है। हालांकि कैटरेक्ट के इलाज के लिए सर्जरी ही एकमात्र स्थायी उपाय है, लेकिन जरूरी नहीं कि व्यक्ति को तुरंत ही सर्जरी की ज़रूरत हो। नीचे हमने कैटरेक्ट के इलाज के कुछ तरीकों का उल्लेख किया है:

  1. कॉन्टैक्ट लेंस या नया चश्मा: कॉन्टैक्ट लेंस या चश्मे का नया प्रिस्क्रिप्शन, कैटरेक्ट के शुरुआती चरणों में व्यक्ति को बेहतर देखने में मदद कर सकता है।
  2. घरेलू इलाज: कैटरेक्ट के लक्षणों और संकेतों का इलाज करने का सबसे अच्छा तरीका आँखों के रोग के किसी विशेषज्ञ से संपर्क करना है। हालाँकि, कुछ समय के लिए, व्यक्ति आँखों के कैटरेक्ट के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए छोटे-छोटे बदलाव कर सकता है:
  • काम पर और घर पर तेज़ रोशनी वाले लेंस का उपयोग करने की कोशिश करें।
  • पढ़ने और अन्य दैनिक गतिविधियों के लिए मैग्निफायिंग ग्लास का उपयोग करें।
  • एंटी-ग्लेयर सनग्लासेस का इस्तेमाल करें।
  1. सर्जरी: अगर आपका कैटरेक्ट आपकी रोज़मर्रा की गतिविधियों जैसे कि ड्राइविंग, पढ़ना, टेलीविज़न देखना आदि में बाधा बन रहा है, तो डॉक्टर सर्जरी कराने की सलाह दे सकते हैं। इस प्रक्रिया में धुंधले लेंस को हटाकर उसकी जगह एक आर्टिफिशियल लेंस (IOL) लगाया जाता है।

कैटरेक्ट होने का सबसे बड़ा कारण चोट लगना या उम्र का बढ़ना है। इन दोनों ही मामलों में आँख के लेंस में मौजूद ऊतकों में बदलाव आने लगता है जिससे कैटरेक्ट होता है। लेंस में मौजूद फाइबर और प्रोटीन टूटने लगते हैं, जिससे कोहरे जैसा दिखाई देने लगता है और व्यक्ति की दृष्टि धुंधली हो जाती है।

अनुवांशिक या जन्मजात विकार भी कैटरेक्ट होने के खतरे को बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा, आँखों की कई अन्य समस्याएँ भी कैटरेक्ट का कारण बन सकती हैं, जैसे: डायबिटीज़, पूर्व में हुई आँखों की सर्जरी, स्टेरॉयड या हानिकारक दवाओं का लंबे समय तक उपयोग।

आँखों के कैटरेक्ट का उपचार शुरुआती चरण में ही कर लेना सबसे अच्छा है, नहीं तो समय के साथ यह और भी बदतर हो जाएगा, जिससे व्यक्ति की दृष्टि प्रभावित होगी। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति बहुत लंबे समय तक इंतजार करने का फैसला लेता है, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि कैटरेक्ट अति-परिपक्व (हाइपरमैच्योर) हो जाए।

इससे कैटरेक्ट को हटाना और भी चुनौतीपूर्ण और मुश्किल हो जाता है, जिससे सर्जरी में समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए, जैसे ही आपको कैटरेक्ट के लक्षण दिखें, तुरंत किसी आँखों के रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें और सर्जरी करवाएं जो कि सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है।

मुख्य रूप से, कैटरेक्ट को तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है, अर्थात् पोस्टीरियर सबकैप्सुलर कैटरेक्ट, कॉर्टिकल कैटरेक्ट और न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक कैटरेक्ट। अधिक विस्तृत और व्यापक जानकारी प्राप्त करने के लिए, आइए एक-एक करके उन पर गहराई से विचार करें:

  • न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक कैटरेक्ट

यह कैटरेक्ट का सबसे सामान्य प्रकार है जो लेंस के मुख्य भाग जिसे न्यूक्लियस कहा जाता है, के धीरे-धीरे सख्त और पीला होने से शुरू होता है। न्यूक्लियर स्क्लेरोटिक कैटरेक्ट में, नजदीक की चीज़ों पर फोकस करने की आँख की क्षमता थोड़े समय के लिए बेहतर हो सकती है, लेकिन स्थायी रूप से नहीं।

 

  • कॉर्टिकल कैटरेक्ट

इस प्रकार का कैटरेक्ट लेंस के कोर्टेक्स (बाहरी सतह) में बनता है और धीरे-धीरे लेंस के बाहर से केंद्र में फैलता है। कुछ मामलों में, जब रोशनी आँख में प्रवेश करती है, तो वह बिखर जाती है, जिसके कारण चकाचौंध, धुंधली दृष्टि, गहराई की पहचान में कठिनाई और अन्य समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, जब बात कोर्टिकल कैटरेक्ट की होती है, तो डायबिटीज़ के मरीजों में इसके होने का खतरा अधिक होता है।

 

  • पोस्टीरियर सबकैप्सुलर कैटरेक्ट

 

इस प्रकार का कैटरेक्ट व्यक्ति की रात में देखने की क्षमता और पढ़ने की क्षमता को प्रभावित करता है। यह लेंस की पिछली सतह या पोस्टीरियर में एक छोटे धुंधले भाग के रूप में शुरू होता है। इसके अलावा, क्योंकि यह लेंस कैप्सूल के नीचे बनता है, इसे सबकैप्सुलर कैटरेक्ट कहा जाता है।

कैटरेक्ट की सर्जरी एक आउट पेशेंट प्रक्रिया होती है, जिसमें सर्जन कुशलतापूर्वक धुंधले लेंस को हटाकर उसकी जगह एक साफ़, आर्टिफिशियल लेंस या (IOL) लगाता है। हालांकि, जब इन आर्टिफिशियल लेंसों को चुनने की बात आती है, तो मरीज अपनी आवश्यकता, आराम और सुविधा के अनुसार विभिन्न विकल्पों में से चुन सकते हैं।

आँखों के कैटरेक्ट की सर्जरी का खर्चा आपके स्वास्थ्य बीमा कवरेज प्लान और आपके द्वारा चुने गए लेंस विकल्प पर निर्भर करता है। आमतौर पर, अधिकांश बीमा प्लान में कैटरेक्ट की सर्जरी को कवर किया जाता है, हालाँकि कुछ विशेष लेंस विकल्प ऐसे हो सकते हैं जिनका खर्च अतिरिक्त होता है, और इसके लिए आपको स्वयं भुगतान करना पड़ सकता है।

 

कैटरेक्ट सर्जरी के कुल खर्चे के बारे में बेहतर जानकारी प्राप्त करने के लिए, हमारा सुझाव है कि आप हमसे फोन या ईमेल के माध्यम से संपर्क करें और जल्द से जल्द अपना अपॉइंटमेंट बुक करें।

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